रिटायर्ड सैन्यकर्मियों के लिए 'समान रैंक, समान पेंशन' को मंजूरी
समान रैंक, समान पेंशन योजना
एजेंसियां | Sep 25, 2012, 09.52AM IST
नई दिल्ली।। सख्त आर्थिक सुधारों के चलते बने कसैले माहौल को कम करने के लिए केन्द्र सरकार सक्रिय हो गई है। मंत्रिमंडल ने रिटायर्ड सैन्यकर्मियों के लिए समान रैंक, समान पेंशन (OROP) लागू करने को मंजूरी देते हुए 2300 करोड़ रुपए के अतिरिक्त पेंशन पैकेज की घोषणा कर दी है। करीब 21 लाख सैन्यकर्मियों को कैबिनेट के इस फैसले से फायदा होगा।
लंबे समय से मिलिट्री कर्मियों में इस बाबत कोई कदम न उठाने के चलते रोष था। इस कदम से पहले तक इस मांग को पूरा करवाने के दबाव के लिए अब तक कई रिटायर्ड सैन्यकर्मी अपने मेडल लौटा चुके थे और रैलियां कर रहे थे। सरकार के इस फैसले के मुताबिक, रिटायर्ड सैन्यकर्मियों के बीच पेंशन में असमानता को खत्म कर दिया जाएगा। इसके तहत जनवरी 2006 के पहले और उसके बाद तीनों सेनाओं से रिटायर हुए जूनियर कमीशन अधिकारियों की पेंशन में अंतर की खानापूर्ति के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। पेंशन के लिए सिपाही स्तर, नायक स्तर और हवलदार रैंक पर जनवरी, 2006 से दो साल पहले या फिर दो साल बाद रिटायर हुए लोगों को इसका पात्र माना जाएगा।
और, 2006 से पहले या बाद में रिटायर हुए कमिशन ऑफिसर्स को न्यूनतम पे-बैंड की जगह न्यूनतम पेंशन टेबल में डालकर यह गैप खत्म कर दिया गया है। इसी तरह कमिशन, जूनियर कमिशन या अन्य अधिकारियों-फौजियों को न्यूनतम पे-बैंड के बजाय इन्हें न्यूनतम फिटमेंट टेबल के हिसाब से अब ज्यादा पेंशन मिलेगी। रिटायरमेंट के बाद जिन जूनियर कमीशन अधिकारियों या अन्य की मृत्यु हो गई है, उनके परिजनों को अब 30 प्रतिशत के बजाय अधिकतम 60 प्रतिशत तक के स्केल पर पेंशन मिलेगी। फैसले का एक और 'अच्छा' पहलू यह है कि जो लोग फौज के अलावा सिविल सेवा में भी रहे हैं, उन्हें दोनों ही ओर से रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिल सकेगी।
रिटायर्ड सैन्यकर्मियों के लिए 'समान रैंक, समान पेंशन' को मंजूरी
समान रैंक, समान पेंशन योजना
एजेंसियां | Sep 25, 2012, 09.52AM IST
नई दिल्ली।। सख्त आर्थिक सुधारों के चलते बने कसैले माहौल को कम करने के लिए केन्द्र सरकार सक्रिय हो गई है। मंत्रिमंडल ने रिटायर्ड सैन्यकर्मियों के लिए समान रैंक, समान पेंशन (OROP) लागू करने को मंजूरी देते हुए 2300 करोड़ रुपए के अतिरिक्त पेंशन पैकेज की घोषणा कर दी है। करीब 21 लाख सैन्यकर्मियों को कैबिनेट के इस फैसले से फायदा होगा।
लंबे समय से मिलिट्री कर्मियों में इस बाबत कोई कदम न उठाने के चलते रोष था। इस कदम से पहले तक इस मांग को पूरा करवाने के दबाव के लिए अब तक कई रिटायर्ड सैन्यकर्मी अपने मेडल लौटा चुके थे और रैलियां कर रहे थे। सरकार के इस फैसले के मुताबिक, रिटायर्ड सैन्यकर्मियों के बीच पेंशन में असमानता को खत्म कर दिया जाएगा। इसके तहत जनवरी 2006 के पहले और उसके बाद तीनों सेनाओं से रिटायर हुए जूनियर कमीशन अधिकारियों की पेंशन में अंतर की खानापूर्ति के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। पेंशन के लिए सिपाही स्तर, नायक स्तर और हवलदार रैंक पर जनवरी, 2006 से दो साल पहले या फिर दो साल बाद रिटायर हुए लोगों को इसका पात्र माना जाएगा।
और, 2006 से पहले या बाद में रिटायर हुए कमिशन ऑफिसर्स को न्यूनतम पे-बैंड की जगह न्यूनतम पेंशन टेबल में डालकर यह गैप खत्म कर दिया गया है। इसी तरह कमिशन, जूनियर कमिशन या अन्य अधिकारियों-फौजियों को न्यूनतम पे-बैंड के बजाय इन्हें न्यूनतम फिटमेंट टेबल के हिसाब से अब ज्यादा पेंशन मिलेगी। रिटायरमेंट के बाद जिन जूनियर कमीशन अधिकारियों या अन्य की मृत्यु हो गई है, उनके परिजनों को अब 30 प्रतिशत के बजाय अधिकतम 60 प्रतिशत तक के स्केल पर पेंशन मिलेगी। फैसले का एक और 'अच्छा' पहलू यह है कि जो लोग फौज के अलावा सिविल सेवा में भी रहे हैं, उन्हें दोनों ही ओर से रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिल सकेगी।
रिटायर्ड सैन्यकर्मियों के लिए 'समान रैंक, समान पेंशन' को मंजूरी
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